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छत्‍तीसगढ़ की कला, साहित्‍य एवं संस्‍कृति पर संजीव तिवारी एवं अतिथि रचनाकारों के आलेख

लूट का बदला लूट: चंदैनी-गोंदा

  विजय वर्तमान चंदैनी-गोंदा को प्रत्यक्षतः देखने, जानने, समझने और समझा सकने वाले लोग अब गिनती के रह गए हैं। किसी भी विराट कृति में बताने को बहुत कुछ होता है । अब हमीं कुछ लोग हैं जो थोड़ा-बहुत बता सकते हैं । यह लेख उसी ज़िम्मेदारी के तहत उपजा है...... 07 नवम्बर 1971 को बघेरा में चंदैनी-गोंदा का प्रथम प्रदर्शन हुआ। उसके बाद से आजपर्यंत छ. ग. ( तत्कालीन अविभाजित म. प्र. ) के लगभग सभी समादृत विद्वानों, साहित्यकारों, पत्रकारों, समीक्षकों, रंगकर्मियों, समाजसेवियों, स्वप्नदर्शियों, सुधी राजनेताओं आदि-आदि सभी ने चंदैनी-गोंदा के विराट स्वरूप, क्रांतिकारी लक्ष्य, अखण्ड मनभावन लोकरंजन के साथ लोकजागरण और लोकशिक्षण का उद्देश्यपूर्ण मिशन, विस्मयकारी कल्पना और उसका सफल मंचीय प्रयोग आदि-आदि पर बदस्तूर लिखा। किसी ने कम लिखा, किसी ने ज़्यादा लिखा, किसी ने ख़ूब ज़्यादा लिखा, किसी ने बार-बार लिखा। तब के स्वनामधन्य वरिष्ठतम साहित्यकारों से लेकर अब के विनोद साव तक सैकड़ों साहित्यकारों की कलम बेहद संलग्नता के साथ चली है। आज भी लिखा जाना जारी है। कुछ ग़ैर-छत्तीसगढ़ी लेखक जैसे परितोष चक्रवर्ती, डॉ हनुमंत नायडू जैसों

छत्तीसगढ के नगाडे की धूम : संपूर्ण विश्व में


गिनीज बुक आफ वल्ड रिकार्ड में अपना नाम दर्ज कराने छत्तीसगढ के लोक कलाकार स्पात नगरी के रिखी क्षत्रीय ने सौ घंटे अनवरत नगाडा बजाने का छत्तीसगढिया जजबा को फलीभूत करने के लिये स्थानीय कला मंदिर में शुक्रवार, १३ अप्रैल की सुबह ९.२५ को छत्तीसगढी लोकगीतों के साथ गायन व वादन का रिकार्ड तोडू सफर का आरंभ किया ।
(आलोक प्रकाश पुतुल का लेख पढें बी बी सी हिंदी में)


नगाडा दुनिया का सबसे पुराना वाद्य यंत्र है, इसका रुप और इसके बजाने की शैली अलग अलग देशों मे अलग अलग प्रकार से है रिखी ने छत्तीसगढ के इस पारम्परिक वाद्य यंत्र की घटती लोकप्रियता को बढाने एवम छत्तीसगढ की संस्कति, अस्मिता व स्वाभाविकता, सरलता को विश्व में प्रस्तुत करने के उद्देश्य से यह बीडा उठाया है ।

गिनीज बुक में ८४ घंटे तक लगातार ड्रम बजाने का रिकार्ड फिलहाल स्विटजरलैंड के अरूलानाथन सुरेश के नाम दर्ज है जिन्होंने यह शराहनीय कार्य वर्ष २००४ में किया था ।

भाई रिखी क्षत्रीय छत्तीसगढ के लोक कलाकार हैं इन्होंने छत्तीसगढ के पारंपरिक लोक वाद्य यंत्रों का अनोखा संग्रह किया है जिसकी प्रदर्शनी समय समय पर देश व विदेश में भिलाई स्पात संयंत्र के सहयोग से लगायी जाती रही है ।

आज इनका प्रयास प्रत्यक्ष देखने के बाद मेरा छत्तीसगढिया मानस गदगद हो गया, आप भी इन्हें आर्शिवाद प्रदान करें कि रिखी क्षत्रीय एवं उनकी टीम विश्व रिकार्ड कायम करें ।

आपसे अधिकाधिक संख्या में टिप्पणी की आवश्यकता लिम्का विश्व रिकार्ड में रिकार्ड के लिये चहिये तो देरी मत कीजिये रिखी को इंतजर है आपके आशीश की आप किसी भी भासा में अपना कमेंट हमें भेज सकते है ।


रिखी को शुभकामनाओं सहित ।

संजीव तिवारी

टिप्पणियाँ

  1. sanjeev tiwari je aapaka blog dekha. main ise lagaatar padhta rhoonga.
    aapka deepak raj
    http://rajlekh.wordpres.com
    http//rajdpk.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  2. तिवारी जी, भिलाई की वेबसाईट http://bhilai.co.in पर भी कुछ टिप्पणी मिल सकती है?

    जवाब देंहटाएं

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आपकी टिप्पणियों का स्वागत है. (टिप्पणियों के प्रकाशित होने में कुछ समय लग सकता है.) -संजीव तिवारी, दुर्ग (छ.ग.)

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