मैंनें छत्तीसगढ के असुरों के संबंध में एक लंबे आलेख में भारत और छ्त्तीसगढ के लोहे के विश्वव्यापी उपयोग के इतिहास के सम्बन्ध मे लिखा है जो आज के संदर्भ में आवशयक है इसलिये इसे यहां सन्दर्भित कर रहा हूं. भिलाई स्टील प्लांट के पूर्व के इतिहास को खंघालने से हमे पता चलता है कि सन् 1930 में सर दाराबजी टाटा को नागपुर पुरातत्व संग्राहालय में एक पुराना भौगौलिक नक्शा मिला और उससे उन्हें ज्ञात हुआ कि नागपुर के उत्तर पूर्वी क्षेत्र छत्तीसगढ के तरफ भारी मात्रा में लौह अयस्क भंडार है.
इसके चलते वे छत्तीसगढ के दुर्ग नगर तक आये और इसके डौंडी तहसील के लौह अयस्क भंडार को देखकर आश्चर्यचकित हो गए. उन्होंनें प्रारंभिक तौर पर ठाना कि यहां वृहद स्टील प्लांट का निर्माण किया जाए किन्तु मौजूदा लौह भंडार के अनुपात में जल व कोयले की पर्याप्त मात्रा नजदीक में नहीं होने की वजह से उन्होंनें यहां वृहद स्टील प्लांट के निर्माण का इरादा बदल दिया और वे बिहार के जमशेदपुर में तद्समय के वृहद स्टील प्लांट का निर्माण कर टाटानगर बसा दिया.
यहां छत्तीसगढ में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की दूरदृष्टि से भिलाई में सोवियत रूस के सहयोग से भिलाई स्टील प्लांट का निर्माण हुआ जो विश्व के सर्वाधिक उत्पादन का कीर्तिमान पर कीर्तिमान स्थापित करता रहा. इस वर्ष भी यह शिखर पर रहा. इसे 8 वी और 9 वी बार प्रधानमंत्री ट्राफी प्रदान किया गया. इस अवसर पर हम हमारे ब्लागर साथी बी एस पाबला जी, विनोद साव जी, अशोक सिंघई जी सहित भिलाई स्टील प्लांट के सभी अधिकारियो/कर्मचारियो का हृदय से अभिनन्दन करते है.
संजीव तिवारी
लगता है कि यह आलेख अपने विस्तृत रूप में आप पहले भी पढवा चुके हैं मुझे !
ReplyDeleteकहीं यह मेरा भ्रम तो नहीं ?
संभवतः कीर्तिमान वाली बात को छोड़कर !
ReplyDeleteलगातार कीर्तिमानों की नईं ऊँचाईयाँ छू रहे भिलाई इस्पात संयंत्र का एक हिस्सा होने की वजह मात्र से मैं कुछ अधिक ही गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ
ReplyDeleteआभार सभी समर्पित साथियों का
बी एस पाबला
भिलाई प्लांट और उस के कर्मचारियों प्रबंधकों को बधाई। यह इस बात का भी द्योतक है कि सार्वजनिक क्षेत्र में बहुत दम है।
ReplyDeleteबाकी सब ठीक लेकिन ये बताओ भैया, ये 50X4 अर्थात 50 बाई4 कालम का अखबारी विज्ञापन आपने ब्लॉग पे कैसे ले लिया
ReplyDelete;)
उत्तम समाचार.
ReplyDeleteभिलाई स्टील प्लांट में कार्यरत सभी ब्लॉगरर्स का हादिक अभिनन्दन!
छत्तीसगड्ग के लिए गौरव का विषय है.
nice
ReplyDelete.... आप सभी को बधाईंया !!!
ReplyDeleteभिलाई के विषय में बहुत ही अच्छी जानकारी दी आपने संजीव जी!
ReplyDeleteमै अभी दुर्ग गई थी एक सेमिनार में ,तो भिलाई जाना हुआ ! वहां के जनसम्पर्क अधिकारी मि० अज़ीज़ खान कर्तव्य निष्ठ ,और शायर हैं !
ReplyDeleteछतीस गढ़ शांत और सुंदर है !आप की पोस्ट अच्छी लगी धन्यवाद !
aapke vicharo se sahmat
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