विजय वर्तमान चंदैनी-गोंदा को प्रत्यक्षतः देखने, जानने, समझने और समझा सकने वाले लोग अब गिनती के रह गए हैं। किसी भी विराट कृति में बताने को बहुत कुछ होता है । अब हमीं कुछ लोग हैं जो थोड़ा-बहुत बता सकते हैं । यह लेख उसी ज़िम्मेदारी के तहत उपजा है...... 07 नवम्बर 1971 को बघेरा में चंदैनी-गोंदा का प्रथम प्रदर्शन हुआ। उसके बाद से आजपर्यंत छ. ग. ( तत्कालीन अविभाजित म. प्र. ) के लगभग सभी समादृत विद्वानों, साहित्यकारों, पत्रकारों, समीक्षकों, रंगकर्मियों, समाजसेवियों, स्वप्नदर्शियों, सुधी राजनेताओं आदि-आदि सभी ने चंदैनी-गोंदा के विराट स्वरूप, क्रांतिकारी लक्ष्य, अखण्ड मनभावन लोकरंजन के साथ लोकजागरण और लोकशिक्षण का उद्देश्यपूर्ण मिशन, विस्मयकारी कल्पना और उसका सफल मंचीय प्रयोग आदि-आदि पर बदस्तूर लिखा। किसी ने कम लिखा, किसी ने ज़्यादा लिखा, किसी ने ख़ूब ज़्यादा लिखा, किसी ने बार-बार लिखा। तब के स्वनामधन्य वरिष्ठतम साहित्यकारों से लेकर अब के विनोद साव तक सैकड़ों साहित्यकारों की कलम बेहद संलग्नता के साथ चली है। आज भी लिखा जाना जारी है। कुछ ग़ैर-छत्तीसगढ़ी लेखक जैसे परितोष चक्रवर्ती, डॉ हनुमंत नायडू जैसों
किसान से सफल उद्योगपति, सुप्रसिद्ध समाजसेवी व कुशल राजनीतिज्ञ के रूप में स्व. ओम प्रकाश जिंदल (7 अगस्त 1930-31 मार्च 2005) ने जीवन की प्रत्येक कसौटी पर खरा उतर कर कमर्योगी-सा जीवन बिताया व कठिन परिश्रम, निष्ठा और सच्चाई से प्रत्येक कार्य को उत्कृष्ठा से कर अपने स्वप्नों को साकार कर दिखाया...। उनका जीवन समाज का प्रेरणा स्त्रोत बन, आने वाली पीढ़ियों का सदैव मार्गदर्शन करता रहेगा। जिंदल समूह का कारोबार सम्पूर्ण दुनिया में फैला हुआ है। स्व. जिंदल ने छत्तीसगढ़ में रायगढ़ संयंत्र ( जिंदल स्टील एण्ड पावर लिमिटेड) की स्थापना वर्ष 1990 में की थी, जो अब उनके सबसे छोटे सुपुत्र श्री नवीन जिंदल के नेतृत्व में है तथा यह कंपनी अंतरराष्ट्रीय क्षितिज में स्टील, ऊर्जा, उत्खनन, गैस, क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को स्पर्श कर रही है। कहते हैं, कुछ लोग जन्म से ही महान पैदा होते हैं, और कुछ लोग अपनी मेहनत के बलबूते पर अपने कर्म की बदौलत महान बनते हैं। ऐसे लोग भावी पीढ़ी के लिए छोड़ जाते हैं, एक आदर्श की छाप जिसे अपनाकर दूसरे लोग भी अपने जीवन में असीम सफलता हासिल करते हैं। स्व. ओम प्रकार्श जिंदल, जिन्हें लोग प्या