पचास साल बाद फहराया जय स्‍तंभ में तिरंगा सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

छत्‍तीसगढ़ की कला, साहित्‍य एवं संस्‍कृति पर संजीव तिवारी एवं अतिथि रचनाकारों के आलेख

लूट का बदला लूट: चंदैनी-गोंदा

  विजय वर्तमान चंदैनी-गोंदा को प्रत्यक्षतः देखने, जानने, समझने और समझा सकने वाले लोग अब गिनती के रह गए हैं। किसी भी विराट कृति में बताने को बहुत कुछ होता है । अब हमीं कुछ लोग हैं जो थोड़ा-बहुत बता सकते हैं । यह लेख उसी ज़िम्मेदारी के तहत उपजा है...... 07 नवम्बर 1971 को बघेरा में चंदैनी-गोंदा का प्रथम प्रदर्शन हुआ। उसके बाद से आजपर्यंत छ. ग. ( तत्कालीन अविभाजित म. प्र. ) के लगभग सभी समादृत विद्वानों, साहित्यकारों, पत्रकारों, समीक्षकों, रंगकर्मियों, समाजसेवियों, स्वप्नदर्शियों, सुधी राजनेताओं आदि-आदि सभी ने चंदैनी-गोंदा के विराट स्वरूप, क्रांतिकारी लक्ष्य, अखण्ड मनभावन लोकरंजन के साथ लोकजागरण और लोकशिक्षण का उद्देश्यपूर्ण मिशन, विस्मयकारी कल्पना और उसका सफल मंचीय प्रयोग आदि-आदि पर बदस्तूर लिखा। किसी ने कम लिखा, किसी ने ज़्यादा लिखा, किसी ने ख़ूब ज़्यादा लिखा, किसी ने बार-बार लिखा। तब के स्वनामधन्य वरिष्ठतम साहित्यकारों से लेकर अब के विनोद साव तक सैकड़ों साहित्यकारों की कलम बेहद संलग्नता के साथ चली है। आज भी लिखा जाना जारी है। कुछ ग़ैर-छत्तीसगढ़ी लेखक जैसे परितोष चक्रवर्ती, डॉ हनुमंत नायडू जैसों

पचास साल बाद फहराया जय स्‍तंभ में तिरंगा

आजादी मिलने के उपरांत भारत के राज्‍य एवं जिला मुख्‍यालयों में स्‍वतंत्रता दिवस के प्रतीक चिन्‍ह के रूप में जय स्‍तंभ का निर्माण कराया गया था, जिसमें आजादी के बाद एवं संविधान लागू किये जाने के बाद लगातार स्‍वतंत्रता व गणतंत्र दिवस में तिरंगा झंडा फहराया जाता है। छत्‍तीसगढ़ के दुर्ग जिला मुख्‍यालय में भी सन् 1947 में जय स्‍तंभ का निर्माण कराया गया जिसमें शुरूआती दौर में चार-पांच साल तक स्‍वतंत्रता दिवस में तिरंगा झंडा फहराया गया। इसके बाद दुर्ग जिला कार्यालय भवन व जिला न्‍यायालय का विस्‍तार किया और फिर धीरे-धीरे जय स्‍तंभ को भुला दिया गया।

दुर्ग जिला अधिवक्‍ता संघ नें इस वर्ष आजादी के प्रतीक के रूप में निर्मित इस जय स्‍तंभ की सुध ली। संघ के पदाधिकारियों द्वारा जिले के जिलाधीश श्रीमती रीना कंगाले जी से अनुरोध कर इस वर्ष जय स्‍तंभ में घ्‍वजा रोहण करने की अनुमति मांगी गई। जिलाधीश महोदया नें ना केवल अनुमति दी एवं आश्‍चर्य व्‍यक्‍त किया कि नगर व प्रशासन के लोग जय स्‍तंभ को भूल कैसे गये।

आज प्रात: जय स्‍तंभ पर लगभग पचास साल बाद दुर्ग जिला कार्यालय परिसर में स्थित जय स्‍तंभ पर जिला अधिवक्‍ता संघ, दुर्ग नें ध्‍वजा रोहण किया। समारोह में अधिवक्‍ता संघ के पदाधिकारी व अधिवक्‍ता गण के साथ ही जिला एवं सत्र न्‍यायाधीश एवं अन्‍य न्‍यायाधीशगण उपस्थित थे। इस अवसर के कुछ चित्र -














कलेक्‍टरेट में ध्‍वजारोहण

स्‍वतंत्रता दिवस की शुभकामनाओं सहित ...

संजीव तिवारी

टिप्पणियाँ

  1. अच्छी पहल के लिए धन्यवाद , स्वतंत्रता दिवस की आपको व अधिवक्ता संघ को हार्दिक बधाई .

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  2. अशोक चक्र जय स्तंभ के तीन सिंह, अशोक चक्र इन प्रतीकों के क्या मायने हैं यह भी तो हम भूल चुके हैं……चलिये सुध आई तो सही। संजीव भाई आप शायद वकील की वेशभूषा मे नही हैं पर हैं जरूर तस्वीर मे। अच्छा लगा। सुंदर प्रस्तुति…।

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  3. अरे हां आपको व मित्रों सहित पूरे देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की बहुत बहुत बधाई……॥

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  4. संजीव जी

    मुझे आपकी प्रविष्टि से हार्दिक प्रसन्नता हुई है ।
    बहुत उत्साहजनक और शुभ संकेत है पचास वर्ष बाद जय स्तम्भ में तिरंगा फहराने की बात !
    सुंदर सचित्र रिपोर्ट के लिए आभार ! हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !


    रक्षाबंधन एवं स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ

    -राजेन्द्र स्वर्णकार

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  5. बधाई इस अनुकरणीय कार्य के लिए...
    राष्ट्र पर्व की सादर बधाईयाँ...

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  6. Aap logon ke prayaas se Jaistambh kii sudh lee gayii. Iske liye aap sabhii dhanywaad ke paatr hain. Swaadhiintaa diwas kii haardik badhaaii.

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  7. सुखद समाचार। वैसे भारतवर्ष में और कई ऐसे स्‍थल हैं जहां राष्‍ट्रीय ध्‍वज काफी समय से फहराया नहीं गया है और फहराया जाना बाकी है।

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