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जनवरी, 2012 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

छत्‍तीसगढ़ की कला, साहित्‍य एवं संस्‍कृति पर संजीव तिवारी एवं अतिथि रचनाकारों के आलेख

लूट का बदला लूट: चंदैनी-गोंदा

  विजय वर्तमान चंदैनी-गोंदा को प्रत्यक्षतः देखने, जानने, समझने और समझा सकने वाले लोग अब गिनती के रह गए हैं। किसी भी विराट कृति में बताने को बहुत कुछ होता है । अब हमीं कुछ लोग हैं जो थोड़ा-बहुत बता सकते हैं । यह लेख उसी ज़िम्मेदारी के तहत उपजा है...... 07 नवम्बर 1971 को बघेरा में चंदैनी-गोंदा का प्रथम प्रदर्शन हुआ। उसके बाद से आजपर्यंत छ. ग. ( तत्कालीन अविभाजित म. प्र. ) के लगभग सभी समादृत विद्वानों, साहित्यकारों, पत्रकारों, समीक्षकों, रंगकर्मियों, समाजसेवियों, स्वप्नदर्शियों, सुधी राजनेताओं आदि-आदि सभी ने चंदैनी-गोंदा के विराट स्वरूप, क्रांतिकारी लक्ष्य, अखण्ड मनभावन लोकरंजन के साथ लोकजागरण और लोकशिक्षण का उद्देश्यपूर्ण मिशन, विस्मयकारी कल्पना और उसका सफल मंचीय प्रयोग आदि-आदि पर बदस्तूर लिखा। किसी ने कम लिखा, किसी ने ज़्यादा लिखा, किसी ने ख़ूब ज़्यादा लिखा, किसी ने बार-बार लिखा। तब के स्वनामधन्य वरिष्ठतम साहित्यकारों से लेकर अब के विनोद साव तक सैकड़ों साहित्यकारों की कलम बेहद संलग्नता के साथ चली है। आज भी लिखा जाना जारी है। कुछ ग़ैर-छत्तीसगढ़ी लेखक जैसे परितोष चक्रवर्ती, डॉ हनुमंत नायडू जैसों

गिरीश पंकज और ललित शर्मा को चेतना साहित्य सम्‍मान

हम तो दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है दरिया और मानव की अदम्‍य प्रकृत्ति के संबंध में इन शब्‍द पंक्तियों को हम गाहे-बगाहे सुनते रहे हैं और देखते रहे हैं कि, आगे बढ़ने की विशाल लक्ष्‍य को भी दरिया जैसे सहज-सरल रूप में बहते हुए प्राप्‍त कर लेना कुछ विशेष लोगों की प्रकृति होती है। आगे बढ़ने के साथ-साथ खुद-ब-खुद पथरीले कठिन बाधाओं को रास्‍ता बनना पड़ता है जिसमें से होकर आगे की पीढ़ी कठिन लक्ष्‍य को भी सहज पार कर लेती है। यशश्‍वी पत्रकार और चर्चित साहित्‍यकार, ब्‍लॉगर गिरीश पंकज जी एवं हिन्‍दी ब्‍लॉग जगत के मार्तण्‍ड ललित शर्मा जी कुछ ऐसे ही व्‍यक्तित्‍व हैं।  गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर एक गरिमामय कार्यक्रम में अभियान भारतीय तथा चेतना साहित्य एवं कला परिषद, छत्‍तीसगढ़ द्वारा हमारे इन्‍हीं दोनों अग्रजों को चेतना साहित्य सम्मान-11 प्रदान किया गया।  प्रथम चेतना साहित्य सम्मान 11 व प्रथम चेतना ब्लॉगर सम्मान 11 से नवाजे गए हमारे दोनों ब्‍अग्रजों से आप परिचित हैं फिर भी इनके संबंध में दो शब्‍द मैं लिखना चाहूंगा-  गिरीश पंकज जी विगत पैतीस सालों से साहित्य एवं पत्रकारिता में समान

मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया

देवानंद की पुस्तक 'रोमांसिग विथ लाइफ' तो पूरी तरह पढ़ी नहीं, ... पुस्तकें इतनी महंगी हो गई हैं कि पढ़ने के थोड़ा-बहुत शेष रह गए मोह के बाद भी पसंद की सारी पुस्तकों को खरीद पाना संभव नहीं। कोई अच्छा पुस्तकालय भी पहुंच और जानकारी में नहीं। अलावा इसके इंटरनेट ने पुस्तकों को चलन से बाहर सा कर दिया है। हालांकि पुस्तकें, पुस्तकें होती हैं। किताब में रखे मयूरपंख से पृष्ठ को खोलकर पढ़ना शुरू करना मुझे आज भी आसान लगता है। लैपटॉप ऑन करना फिर एक आवाज सुनना, इंटरनेट कनेक्ट होने का इंतजार, स्क्रीन रोशन होने का इंतजार और बहुत सारी कुजियों को दबाने के बाद वांछित जगह पहुंचना, तब तक पढ़ने का मूड आधा रह जाता है। खैर...  'रोमांसिग विथ लाइफ' पर अलग-अलग पत्रिकाओं में समीक्षा/टिप्पणी पढ़ने और डेढ़-दो साल पहले 'सीधी बात' में प्रभु चावला के साथ देव साहब की बातचीत सुनने के बाद मुझे जो लगा, वह देवानंद की आमरूप से जानी-पहचानी एक रोमांटिक हीरो की छवि से सर्वथा अलग है। रोमांटिक हीरो से जो छवि बनती है वह है अपनी समकालीन हीरोइनों यथा सुरैया से जीनत अमान तक लगभग सभी हीरोइनों के साथ परदे के बा

इप्टा के साथ तीन दिन - विनोद साव

शाम को चार बजे नेहरु हाउस पहुंचा तो सन्नाटा था। जयप्रकाश दिखे, बताए कि ‘सब लोग रैली में शामिल हैं, चलो हम लोग भी चलते हैं।’ इतने में ही विनोद कुमार शुक्ल और सुभाष मिश्र भी आ गए। हम सब रैली में जाने के लिए सुभाषजी की कार में बैठ गए। जयप्रकाश आलोचक हैं और सुभाष मिश्र एक संगठनकर्ता। वहॉं हम दोनों ही विनोद विशुद्ध लेखक थे। बहुधा इस तरह के लेखकों के बीच मुलाकात होने पर एक दूसरे की रचना पढ़े जाने से बात आरंभ होती है। एक विनोद (शुक्ल) ने दूसरे विनोद (साव) को देखते ही लपक कर कहा कि ‘‘अभी अभी ‘वसुधा’ में आपका यात्रा वृत्तांत देखा है। बर्दवान पर है। आप बंगाल कैसे चले गए थे?’’ विनोदजी अपने आसपास के प्रति बड़े जिज्ञासु हो उठते हैं। वे मंचों पर बोलने से बचते हैं। वे मंच के उपर नहीं मंच के नीचे मुखरित होते हैं। उनकी बातें सुनने में रोचक लगती हैं उनकी कहानियों की तरह। हम आकाश गंगा पहुंच गए थे जहॉं से रैली आरंभ हुई थी। लगभग एक़ किलोमीटर लम्बी रैली थी ‘इप्टा’ यानी भारतीय जन नाट्य संघ की। देश भर के अलग अलग राज्यों से आई हुई इप्टा की नाट्य एवं लोक मंडलियॉं थीं और उनके झूमते, नाचते, गाते कलाकार थ

रामचन्‍द्र देशमुख ‘बहुमत सम्‍मान’ सुमिन को

चित्र सीजी गीत संगी से साभार कला साहित्‍य एवं संस्‍कृति की पत्रिका बहुमत द्वारा प्रदत्‍त रामचंद्र देशमुख बहुमत सम्‍मान इस वर्ष जनजातीय लोकगीत धनकुल की प्रख्‍याता गायिका श्रीमती  सुमिन  बाई बिसेन को दिया जायेगा। 12 जनवरी को शाम साढ़े चार बजे भिलाई होटल के बहुद्ददेशीय सभागार में आयोजितत एक गरिमामय समारोह में सम्‍मान निधि, शाल, श्रीफल एवं प्रशसित पत्र से सम्मानित किया जायेगा। सात सदस्‍सीय निर्णायक समिति की अनुशंसा के आधार पर उनका चयन किया गया है। डीपी देशमुख एवं मुमताज नें बताया कि सुमिन बाई बिसेन लुप्त हो रही जनपदीय लोक परम्परा धनकुल की विलक्षण लोकगायिका हैं। धनकुल की परम्परा का विस्‍तार दंडकारण्‍य के उस मैदानी भूभाग में पाया जाता है जो इंद्रावती नदी के तट पर है। धनकुल वाद्य यंत्र धनुष, हण्‍डी, चावल फटकने का सूपा और बांस की कमची के संयोजन से बनता है। इस वाद्य की संगीत के लिए अलग से किसी भी ताल वाद्य की आवश्‍यकता नहीं होती। सुमिन बाई बिसेन इस वाद्य यंत्र से अत्‍यंत मोहक ध्‍वनि उत्पन्न करती है। साथ ही तीजा जगार, चारखा गीत और शिव पार्वती विवाह प्रसंग का अद्भुत गान करती है। 63 व

अपने ब्लॉग में सुन्दर फेसबुक, ट्विटर, लिंकडिन जैसे Social networking प्रोफाईल लिंक लगायें

फेसबुक, ट्विटर आदि Social networking s ite की बढती लोकप्रियता को देखते हुए हममें से अधिकतम ब्लॉगर साथी चाहते हैं कि वे अपने इन साइटों के प्रोफाईल तक विजिटर की पहुच सुलभ बनायें. इसके लिये अलग—अलग साईट में एचटीएमएल कोड की व्यवस्था है जिसे आप अपने ब्लॉग के एड एचटीएमएल/जावा विजेट के माध्यम से अलग—अलग जोड सकते हैं. यह ब्लॉग के साइडबार बेवजह ज्यादा जगह घेरता है इसे छोटा करने के प्रयास में हमें एक सुन्दर कोड हाथ लगा जिसे हम अपने इस ब्लॉग में प्रयोग कर रहे हैं. ब्लॉग के बायें भाग में यह विजेट पेज को उपर नीचे करने के बावजूद अपने नियत स्थान में जमा रहता है और विजिटर को नजर आते रहता है. हमारे द्वारा सुझाया जा रहा ​कोड आपके ब्लॉग में आपके — फेसबुक प्रोफाईल पेज का लिंक ट्विटर प्रोफाईल पेज का लिंक लिंकडिन प्रोफाईल पेज का लिंक ब्लॉग का आरएसएस सब्सक्रिपशन लिंक पोस्ट ई मेल सब्सक्रिपशन लिंक यदि आप इसे अपने ब्लॉग में प्रयोग करना चाहते हैं तो नीचे दिये गए कोड को कापी कर अपने ब्लॉग के एड एचटीएमएल/जावा विजेट में पेस्ट करें. <div style="position: fixed; top: 120px ; left : 90px ;"